वो 8 अप्रैल 1929 का दिन था जब भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने ब्रिटिश भारत के असेम्बली हॉल में बम फेंककर अवाम की आवाज़ बहरे हुक्मरानों को सुनाने की कोशिश की थी। इसी ‘गुनाह’ के चलते भगत सिंह को फांसी दे दी गई। अब भगत सिंह दोबारा पहुंच गए हैं इसी भव्य इमारत में जो अब भारतीय संसद भवन बन गई है। आज भगत सिंह की 18 फुट ऊंची कांस्य प्रतिमा संसद भवन के परिसर में लगाई गई। सोचिए, 61 साल लग गए आज़ाद भारत की सरकार को भगत सिंह का सम्मान करने में। वैसे इसका श्रेय लोकसभाध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी को भी दिया जाना चाहिए क्योंकि यह प्रतिभा लोकसभा सचिवालय ने ही दान दी है।
इस मौके पर उस पर्चे का एक अंश पेश है, जिसे भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने असेम्बली में फेंका था...
हम हर मनुष्य के जीवन को पवित्र मानते हैं। हम ऐसे उज्ज्वल भविष्य में विश्वास रखते हैं जिसमें हर इंसान को पूर्ण शांति और स्वतंत्रता का अवसर मिल सके। हम इन्सान का ख़ून बहाने की अपनी विवशता पर दुखी हैं। लेकिन क्रांति द्वारा सबको समान स्वतंत्रता देने और मनुष्य द्वारा मनुष्य के शोषण को समाप्त कर देने के लिए क्रांति में कुछ-न-कुछ रक्तपात अनिवार्य है।
9 comments:
अनिल भैया आपको व आपके परिवार को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
जय-हिन्द!
देर से ही सही भगत सिंह को संसद में प्रवेश तो मिला। लेकिन भगत सिंह के सपनों का भारत और दुनियां अभी बहुत दूर है। पर उसे अस्तित्व में आने से कोई नहीं रोक सकता। वह कल्पना नहीं यथार्थ है।
आजाद है भारत,
आजादी के पर्व की शुभकामनाएँ।
पर आजाद नहीं
जन भारत के,
फिर से छेड़ें, संग्राम एक
जन-जन की आजादी लाएँ।
हमारे आदर्श के आईकॉन्स समय के साथ फेड होते जा रहे हैं! और नये आईकॉन्स ऐसे नहीं जिनपर गर्व किया जा सके - नये माइकल जेक्सनिये हैं!
भगत सिंह और आजाद की स्पिरिट गुम होती जा रही है।
अनिल भाई,
सटीक चित्र और
शब्द चित्र के साथ
आपकी हर पेशकश
बहुत कुछ दे जाती है.
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आभार
डॉ.चन्द्रकुमार जैन
स्वतंत्रता दिवस की बहुत बधाई एवं शुभकामनाऐं.
देर आये आये तो सही।
आज़ादी का मंत्र जप रहे ब्लॉगर भाई।
मेरी भी रख लें श्रीमन् उपहार बधाई॥
bhai idhar aana bahut sukhad hua.
achchi soch ko naman.
aap jaise vidvaanon ke sahyog ki aankaansha liye ik naya blig b hai hamara.zaroor aayen.
http://saajha-sarokaar.blogspot.com/
apne yahan aapka link de raha hoon.
बहुत सुन्दर लिखा है। बधाई।
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